ज्योतिष में राहु के कारकत्‍व विचार

Author
डॉ.भूपेन्‍द्र कुमार पाण्‍डेय
आ.ज्‍योतिषविभाग, के.सं.वि.वि.भोपाल परिसर, भोपाल एवं संस्‍थापक ज्‍योतिषविश्‍वकोश

राहु के कारकों का वि‍चार कई ग्रंथों में आचार्यों ने क‍िया है। उन सभी अंशों का यथा ज्ञान संकलन यहॉं प्रस्‍तुत क‍िया जा रहा है।

1-छत्र, 2-चँवर, 3-ए.सी. आदि, 4-राज्य, 5-संग्रह, 6-कुतर्क/व्‍यर्थ का वाद करना, 7-मर्मच्छेदी वाक्य, 8-अन्त्यज/नीच जाति, 9-पाप स्त्री, 10-चारों ओर से सजा हुआ, 11-सुख-सुविधा युक्‍त वाहन, 12-अधार्मिक मनुष्य, 13-जुआँ, 14-संध्या समय बली, 15-दुष्ट स्त्री से संबंध बनाना, 16-अन्य देश/जग‍ह जाना, 17-गन्दगी, 18-हड्डी, 19-प्लीहा का बढ़ जाना, 20-झूठ, 21-नीचे देखना/निम्‍नस्‍तर की दृष्टि, 22-भ्रम/संदेह, 23-जादू आदि, 24-गरुड़ पक्षी/गारुडीविद्या, 25-दक्षिणाभिमुख/नैऋत्‍य दिशा का सूचक, 26-म्लेच्छादि तथा 27-अन्य नीचों का सहारा, 28- गंदे लोगों की मदद करने वाला, 29-सूजन, बडा जंगल, 30-विषम स्थानों में घूमना, 31-पर्वत, 32-पीड़ा, 33-बाहर का स्थान, 34-दक्षिण-पश्चिम दिशा, 35-प्रिय, 36-वायु कफ आदि दोषों से परेशानी, 37-सर्प, 38-रात्रि की हवाएँ, 39-तीक्ष्णता/स्‍वभाव में तीखापन, 40-बडे आकार के बहुत रेंगने वाले साँप आदि, 41-सकल गुप्त वस्तुएं, 42-मृत्यु का समय, 43-वृद्ध, 44-वाहन, 45-नागलोक,(सापों की जगह), 46-माता अथवा नाना, 47-वायुदोष का तेज दर्द/गैस के कारण पीडा, 48-खाँसी, 49-श्वास की बीमारी, 49-महान् प्रताप/विशेष प्रभुत्‍व, 50-वन, 51-दुर्गापूजा, 52-दुष्टता, 53-पशुओं से मैथुन, 54-दाईं ओर से लिखी जाने वाली भाषा, जैसे उर्दू आदि, 55-कठोर भाषण इत्यादि का विचार राहु से करना चाहिये। (1 से लेकर 54 तक उ.का.5-51/52/53)। 55-हृदय संबंधी ताप, 56-कुष्ठ रोग, 57- बौद्धिक विभ्रम (विवेकशून्यता), 58- विषजन्य रोग, 59- संक्रमण  के  रोग, 60-पैरों में रोग, 61-पिशाच बाधा, 62-पर्वत के शिखर, 63- कंदरायें,64-म्‍लेच्‍छ जातियॉ, 65-विकलांग, 66- हिंसक, 67- कृतघ्‍न, 68- चोर, 69- मल्‍लयुद्ध जानने वाला, 70-दम्‍भी, 71- राक्षस, 72- बहुत सोने वाला, 73- जन्‍तु, 74- तिल, 75- हृदय की दुर्बलता,  76- हृदय का ताप, 77-कुष्‍ठ,78-दुर्मति, 79-मतिभ्रम, 80- पैर में चोट, 81- अपस्‍मार 82- मसूरिका, 83- गण्‍डमाला, 84-कृमिरोग, 85- अरुचि, 86- उद्बन्‍धन, 87- छुआछूत के रोग, 88- सर्पदंश, (55 से 88 तक ज्‍यो.रो.विचार) 89-कीडे-मकोडे(आ.मत), 90- वृष/मिथुन में उच्‍च, 91- अनेक रोग(आ.मत), 92- एक के बाद कई रोग(आ.मत), 93-भ्रमपूर्ण कष्‍ट(आ.मत), 94- समाधान न होने वाला कष्‍ट (आ.मत) 95- दवाओं के नुकसान से होने वाले रोग(आ.मत), 96- रात में बलवान् (आ.मत)97- आतंकवादी(आ.मत),  98- अचानक निर्णय लेने वाला, 99- धमकाना(आ.मत), 100- नशीले पदार्थ(आ.मत), 101- सफाई कर्मचारी(आ.मत), 102- कैदी(आ.मत), 103- दर्द का टीका(आ.मत), 104- शेयर मार्केट की गिरावट(आ.मत), 105- ऐसा धन जो अपने हक का न हो(आ.मत), 106-बदनाम वकील(आ.मत), 107-धोखेबाज(आ.मत), 108- हाथी के दांत से बनी हुई वस्‍तुयें(आ.मत) इत्‍यादि का विचार राहु से करना चाहिये।

संदर्भ सूची / References

1-जातकपारिजात

2- बृहत्‍संहिता

3-बृहज्‍जातकम्

4- फलदीपिका

5-उत्‍तरकालामृतम्

6-काटवे

7-ज्‍योतिषशास्‍त्र में रोगविचार


3 Comments

Amanda Martines 5 days ago

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